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Toggleपेट का कैंसर क्या होता है? जानिए इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके
“पेट में दर्द”, “गैस बनना”, “बदहजमी” – ये ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार बनी रहने वाली यही छोटी-छोटी समस्याएं एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती हैं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पेट का कैंसर की। चिकित्सकीय भाषा में इसे ‘गैस्ट्रिक कैंसर’ कहा जाता है।
साधारण शब्दों में कहें तो, पेट का कैंसर तब शुरू होता है जब पेट की अंदरूनी परत की स्वस्थ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और एक गांठ (ट्यूमर) का रूप ले लेती हैं।
समय के साथ, यह ट्यूमर पूरे पेट में फैल सकता है और शरीर के अन्य अंगों जैसे लिवर, फेफड़ों और हड्डियों तक भी पहुँच सकता है। भारत में पेट का कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है, इसलिए इसके बारे में जागरूकता बेहद जरूरी है।
पेट के कैंसर के प्रमुख लक्षण (Symptoms of Stomach Cancer)
शुरुआती चरणों में पेट का कैंसर बहुत स्पष्ट लक्षण पैदा नहीं करता, इसीलिए इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है। हालाँकि, निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने पर सतर्क हो जाना चाहिए:
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लगातार बनी रहने वाली बदहजमी या जलन: अगर आपको अक्सर खाने के बाद अपच, गैस या सीने में जलन की शिकायत रहती है।
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भूख का अचानक कम हो जाना: बिना किसी वजह खाने का मन न करना, या थोड़ा सा खाते ही महसूस होना कि पेट भर गया है।
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अकारण वजन घटना: बिना डाइटिंग या एक्सरसाइज के तेजी से वजन कम होना।
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पेट में दर्द या बेचैनी: विशेषकर ऊपरी पेट में हल्का दर्द, जलन या सूजन का अहसास।
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उल्टी या मल में खून आना: यह एक गंभीर लक्षण है और तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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थकान और कमजोरी: लगातार थकान रहना और शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होना।
याद रखें, इनमें से कोई भी एक लक्षण जरूरी नहीं कि पेट का कैंसर ही हो, लेकिन अगर ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें, तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
पेट के कैंसर के मुख्य कारण और जोखिम कारक (Causes & Risk Factors)
पेट का कैंसर किसी एक कारण से नहीं, बल्कि कई कारकों के मेल से होता है। कुछ प्रमुख जोखिम कारक इस प्रकार हैं:
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हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. Pylori) संक्रमण: यह एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो पेट में लंबे समय तक संक्रमण पैदा कर सकता है और पेट के कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।
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धूम्रपान और तंबाकू का सेवन: सिगरेट और तंबाकू पीने वालों में इस कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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असंतुलित आहार: ज्यादा नमकीन, स्मोक्ड, प्रोसेस्ड और तले-भुने खाद्य पदार्थों का सेवन, जबकि ताजे फल और सब्जियों का सेवन कम करना।
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पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में किसी करीबी रिश्तेदार (माता-पिता, भाई-बहन) को पेट का कैंसर रहा हो, तो खतरा बढ़ सकता है।
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लंबे समय तक सूजन: क्रोनिक गैस्ट्राइटिस (पेट की लगातार सूजन) की स्थिति भी जोखिम बढ़ाती है।
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उम्र: 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसका खतरा अधिक होता है।
बचाव के तरीके (Prevention Tips)
हालाँकि पेट का कैंसर पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इसके जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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स्वस्थ आहार अपनाएं: ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियों और फाइबर युक्त आहार को अपनी डाइट में शामिल करें। नमक और प्रोसेस्ड मीट का सेवन सीमित करें।
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तंबाकू और धूम्रपान से दूरी: धूम्रपान और तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में बिल्कुल न करें।
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शराब का सेवन सीमित करें: अत्यधिक शराब का सेवन पेट की अंदरूनी परत को नुकसान पहुँचा सकता है।
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वजन को नियंत्रित रखें: नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
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संक्रमण का इलाज कराएं: अगर H. Pylori संक्रमण है, तो डॉक्टर की सलाह से उसका पूरा इलाज करवाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या पेट का कैंसर ठीक हो सकता है?
हाँ, अगर पेट का कैंसर का पता शुरुआती चरण (स्टेज 1 या 2) में लग जाए, तो सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसे उपचारों से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। देरी से पता चलने पर इलाज मुश्किल हो जाता है।
2. पेट के कैंसर की जांच कैसे होती है?
इसकी मुख्य जांच एंडोस्कोपी है, जिसमें एक पतली ट्यूब के सिरे पर कैमरा लगाकर पेट के अंदर देखा जाता है। संदिग्ध जगह से कोशिकाओं का नमूना (बायोप्सी) लेकर जांच की जाती है।
3. क्या अल्सर, पेट के कैंसर में बदल सकता है?
कुछ विशेष प्रकार के अल्सर (जैसे कि कुछ जायंतर के अल्सर) लंबे समय तक रहने पर कैंसर का रूप ले सकते हैं, हालाँकि यह बहुत आम नहीं है। फिर भी, अल्सर का सही इलाज कराना जरूरी है।
4. क्या अधिक मसालेदार खाने से पेट का कैंसर होता है?
अकेले मसालेदार खाना सीधे तौर पर पेट का कैंसर का कारण नहीं बनता, लेकिन लगातार बहुत अधिक मिर्च-मसाले और तेल-घी वाला खाना पेट की अंदरूनी परत में जलन पैदा कर सकता है, जो लंबे समय में एक जोखिम कारक बन सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने शरीर की आवाज सुनें। छोटी-छोटी समस्याओं को नजरअंदाज न करें। नियमित चेकअप करवाएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। सजगता ही पेट के कैंसर से बचाव की पहली और सबसे मजबूत सीढ़ी है।