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Toggleभारत में 2025 में कैंसर होने के मुख्य कारण | Cancer Causes in India
भारत में कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ICMR के आँकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लाखों नए कैंसर के मामले दर्ज होते हैं और 2025 तक यह संख्या और भी तेजी से बढ़ने की संभावना है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि भारत में कैंसर होने के कारण (Cancer Causes in India) क्या हैं, यह महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग कैसे प्रभावित करता है और इसके इलाज में कितना खर्च आता है।
अस्वस्थ जीवनशैली (Unhealthy Lifestyle)
आजकल अधिकांश लोग बैठे-बैठे काम करते हैं, कम शारीरिक गतिविधि करते हैं और जंक फूड का सेवन ज्यादा करते हैं। वसायुक्त भोजन, तैलीय खाना और मीठे पेय पदार्थों का अधिक उपयोग शरीर में मोटापा और हार्मोनल असंतुलन को जन्म देता है। ये दोनों ही कई तरह के कैंसर, जैसे ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर और लिवर कैंसर का बड़ा कारण माने जाते हैं।
तंबाकू, गुटखा और शराब का सेवन (Tobacco and Alcohol)
भारत में 2025 में कैंसर कैंसर के सबसे बड़े कारणों में तंबाकू और गुटखा शामिल हैं। आँकड़े बताते हैं कि भारत में 40% से अधिक कैंसर के मामले सीधे तौर पर तंबाकू से जुड़े होते हैं। गुटखा, खैनी और पान मसाला मुँह, जीभ और गले के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। इसी तरह शराब का अत्यधिक सेवन लिवर और फेफड़ों के कैंसर की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है।
प्रदूषण और प्लास्टिक का उपयोग (Pollution and Plastic use)
बढ़ता प्रदूषण और प्लास्टिक का उपयोग भी भारत में 2025 में कैंसर का एक नया कारण बन रहा है। प्लास्टिक की बोतलों या कंटेनरों में रखे भोजन से निकलने वाले हानिकारक रसायन शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और लंबे समय तक जमा होकर कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देते हैं।
महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर अधिक क्यों है?
महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की दर बहुत अधिक है। इसका कारण केवल जीवनशैली नहीं बल्कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) का संक्रमण भी है। साथ ही, देर से शादी करना, बच्चे को स्तनपान न कराना और हार्मोनल बदलाव भी इन कैंसरों को बढ़ावा देते हैं।
जागरूकता और समय पर इलाज की कमी
भारत में बड़ी समस्या यह है कि लोग कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जब तक मरीज डॉक्टर के पास पहुँचता है, तब तक कैंसर अक्सर तीसरे या चौथे स्टेज में पहुँच चुका होता है। यही कारण है कि भारत में 2025 में कैंसर की मृत्यु दर अधिक है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या प्लास्टिक से कैंसर होता है?
जी हाँ, प्लास्टिक से निकलने वाले हानिकारक रसायन जैसे BPA (Bisphenol-A) और फ्थैलेट्स शरीर के हार्मोन को प्रभावित करते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से हार्मोनल कैंसर (जैसे ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर) का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए प्लास्टिक की बोतलों या बर्तनों में गरम खाना रखने से बचना चाहिए।
क्या टूथपेस्ट का अधिक उपयोग मुँह के कैंसर का कारण है?
टूथपेस्ट अपने आप में कैंसर का कारण नहीं है। लेकिन अगर टूथपेस्ट में मौजूद कुछ रसायनों (जैसे सोडियम लॉरिल सल्फेट या अत्यधिक फ्लोराइड) का बहुत अधिक और लंबे समय तक उपयोग हो तो यह मुँह की कोशिकाओं पर असर डाल सकता है। वास्तविक रूप से मुँह का कैंसर मुख्यतः गुटखा, पान मसाला, खैनी और तंबाकू से होता है।
शराब और गुटखा कैसे कैंसर का कारण बनता है?
शराब और गुटखा शरीर की कोशिकाओं को लगातार नुकसान पहुँचाते हैं।
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गुटखा और तंबाकू में मौजूद निकोटीन और कार्सिनोजेन मुँह, गले और फेफड़ों की कोशिकाओं को कैंसरस बना देते हैं।
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शराब लिवर की कोशिकाओं को कमजोर करके सिरोसिस और फिर लिवर कैंसर की ओर ले जाती है।
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जब शराब और तंबाकू दोनों का सेवन साथ में किया जाता है तो कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कैंसर होने पर इलाज में कितना खर्चा आता है?
कैंसर का इलाज बीमारी की स्टेज और कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है।
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शुरुआती स्टेज में दवाइयों और सर्जरी का खर्च 1 से 3 लाख रुपये तक आ सकता है।
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अगर रेडिएशन और कीमोथेरेपी की जरूरत पड़े तो खर्च 5 से 10 लाख रुपये तक हो सकता है।
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एडवांस स्टेज में इलाज लंबा चलता है और खर्च 15 से 25 लाख रुपये या उससे भी अधिक हो सकता है।
सरकारी अस्पतालों और कुछ स्वास्थ्य योजनाओं (जैसे आयुष्मान भारत) के जरिए भारत में 2025 में कैंसर के इलाज की लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष
भारत में 2025 में कैंसर के मामले और भी तेजी से बढ़ने की आशंका है। इसके पीछे अस्वस्थ जीवनशैली, तंबाकू और शराब का सेवन, प्रदूषण, प्लास्टिक का उपयोग और समय पर इलाज न मिलना प्रमुख कारण हैं। हमें जागरूक होकर सही खान-पान, नियमित व्यायाम और हानिकारक चीज़ों से दूरी बनानी चाहिए। समय पर जाँच और डॉक्टर से सलाह लेना ही कैंसर से बचाव और इलाज का सबसे सुरक्षित तरीका है।